Tuesday, October 7, 2008

एक बार...

एक बार फ़िर लौट आयें दिन जो गुज़र गए हैं जीवन में
एक बार फ़िर जी लूंगी उन लम्हों को मैं जी भर के

जो अब लगता है एक सपना सा,
मैंने जिया है हर वोह पल
जब सब कुछ था अपना सा
जाने कहाँ गया वो कल?

एक बार फ़िर लौट आयें दिन जो गुज़र गए हैं जीवन में
एक बार फ़िर जी लूंगी उन लम्हों को मैं जी भर के


देखती हूँ जब बीते कल को
उजली धूप छा जाती है
बीत गया है बचपन जो
हर याद आंसू दे जाती है

एक बार फ़िर लौट आयें दिन जो गुज़र गए हैं जीवन में
एक बार फ़िर जी लूंगी उन लम्हों को मैं जी भर के


हर वो याद जो हुई पुरानि
अब भी बसी हुई है इस दिल में
सुंदर सादगी और कितनी सुहानी
होती थी ज़िन्दगी हर पल में

एक बार फ़िर लौट आयें दिन जो गुज़र गए हैं जीवन में
एक बार फ़िर जी लूंगी उन लम्हों को मैं जी भर के


हात से गिरती रेत सा कल है
अब शायद न वापस आएगा
फिर भी याद हर एक वो पल है
जो हमेशा साथ रह जाएगा

एक बार फ़िर लौट आयें दिन जो गुज़र गए हैं जीवन में
एक बार फ़िर जी लूंगी उन लम्हों को मैं जी भर के


2 comments:

Alan Sahu said...

Look forward, there is always a better thing to be discovered.

I think you desperately miss your child-life, but it won't help you anymore.

Analytics Pro said...

Very well Said Nidhi :)